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Showing posts from May, 2016

हिंसक कौन : केरल !

केरल में चुनावी हिंसा, हत्याओं का पुराना इतिहास रहा है। साल 2012 में सीपीएम के नेता रहे टी.पी. चंद्रसेखरन की काट-काट कर की गई बर्बर हत्या इसी सिलसिले की कड़ी कही जायेगी। अफ़सोस कि हाल के विधानसभा चुनावों से पहले और वाम एलडीएफ की जीत के बाद भी हिंसा-हत्या का सिलसिला कन्नूर तक चल ही रहा है। चौंकिएगा नहीं, राजनैतिक विरोध में टी.पी. चंद्रसेखरन की साल 2012 में क्रूर और मध्ययुगीन शैली ये यह हत्या, कम्युनिस्ट पार्टी... सीपीएम की ही तरफ़ से की गई, वजह ये कि चंद्रशेखरन ने पार्टी की नीत ियों की आलोचना कर एक दूसरी पार्टी, 'रेवेल्यूश्नरी मार्कसिस्ट पार्टी' बना ली थी। "सीपीएम लोगों की ज़िंदगी में घुस गया है, यहां तक की गांववालों को अपने घर की शादी में कांग्रेस-समर्थक दोस्त तक को बुलाने की आज़ादी नहीं है, अब ऐसे में लोगों और असलहे के बल के साथ आरएसएस अपना प्रचार करेगा तो हिंसा तो होगी ही" : यह कहना है सम्मानित मलयालम लेखक और राजनीतिक विश्लेषक पॉल ज़कारिया का। तो फिर सवाल उठता है केरल की राजनीति में हिंसा, इंसानी हत्याएं करता कौन है ? बीते चार दशकों के दौरान अकेले 200 से ज्या

अपने तय दीर्घकालिक राजनैतिक रास्ते पर है भाजपा

भा जपा ने असम नहीं, पूर्वोत्तर की सातों बहनों के प्रति स्नेह और बंधन का रिश्ता खोला है. असम, पूर्वोत्तर के उस गेट की तरह है जिसके घेरे के राज्यों के तमाम मरहले ऐसे हैं जिन्हें लंबे संदर्भों में देखा जाना है. ठीक वैसे ही, जैसे इसे असम में सकारात्मक ढंग से जमीन पर किया गया. असम में भाजपा की जीत इस पूरे क्षेत्र के लिए एक बड़ी सकारात्मक और दीर्घकालिक ऐतिहासिक परिवर्तन की शुरुआत है, जिसका दायरा विकास से लगायत संस्कृति तक होना है. बंगाल में ममता दीदी को मिली वोटर की मुहब्बत उसके वामपंथी दलों से नफरत की वजह से है. लेफ्ट के कांग्रेस के साथ आने ने वोटर के मन में वामपंथी सत्ता की दहशत की याद को ताजा कर दिया और इसे किसी कीमत पर रोकने के लिए उसने वोट तृणमूल को दे दिया. बंगाल के मतदाता में लेफ्ट के प्रति इस नफरत में थोड़ी भी कमी होती तो भाजपा के और भी बढ़े वोट प्रतिशत के साथ सीटों में भी अच्छी संख्या देखने को मिलती. केरल में चांडी के जाने की बुनियाद पर लेफ्ट गठबंधन का आना और इसके बीच भाजपा को राज्य में मिले वोट शेयर, राज्य की राजनीति में दीर्घकालिक परिवर्तन की आहट है. केरल की राजनीति में च

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के दो आयाम : अलगाववादी क्षेत्रवाद बनाम एकीकृत राष्ट्रवाद और असम।

असमिया राष्ट्रवाद की उपज बहिरागत आंदोलन के साथ सांस्कृतिक संगठन के तौर पर आरएसएस का शुरूआती दौर से जुड़ाव और राजनैतिक मोर्चे पर भाजपा के साथ... तीन दशकों के जमीनी काम ने असम के क्षेत्रीय सांस्कृतिक राष्ट्रवादी आंदोलन बहिरागत को आज भारतीय राष्ट्रवाद के रूप में स्थापित किया है। सांस्कृतिक जमीन पर राजनैतिक सक्रियता के जरिये.. सकारात्मक और क्षेत्रीय असमिया सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को शासन-सत्ता का बल देने के काम में भाजपा ने खुद को तैयार किया और असम राजनैतिक सत्ता में राष्ट्रवादी सरकार देखने जा रहा है। इस सबके बीच जो बेहद महत्वपूर्ण बात है... कि क्षेत्रीय राष्ट्रवाद जैसे आंदोलन से निकली असम गण परिषद और आज़ादी से पहले से वजूद में रहे असम छात्र संगठन 'आसू' से निकले इसके नेता प्रफुल्ल कुमार मोहंती इस सत्ता के साथ है। यह कोई छोटा संकेत नही है। 1971 की जनगणना में जब असम में असमी मूल, असमी भाषी लोगों की जनसंख्या 49% रह गयी तब पहली बार असम का ध्यान इस क्षेत्रीय सांस्कृतिक पहचान पर खड़े संकट पर गया। जनसंख्या में होने वाले इस बदलाव ने मूलवासियों में भाषाई, सांस्कृतिक और राजनीतिक असुरक्षा की भ

यूनान का ग्रीस हो जाना

ग्रीस में बाल काटने का काम, खतरे के काम करने (रिस्की) की श्रेणी में आता है। यूनान (ग्रीस) के दिवालिया होने की खबर को हम केवल एक 'घटना' मानकर इससे सिर्फ इतना वाकिफ हैं कि ग्रीस कर्ज न चुका पाने के कारण दिवालिया हो रहा है। इससे अधिक जानने को न तो कोई इच्छुक है और न ही कोई मूल कारण जानना चाहता है। सच्चाई यह है कि इन दिनों यूनान में जो हो रहा है वह सोशलिज्म का ही विकृत हुआ रुप है। दुनिया में जहां भी हुक्मरानों ने अपने नागरिकों को राहत, सब्सिडी और रियायती रेट की खैरात बांटी है, वहां उसे हमेशा सामाजिक बदलाव के क्रांतिकारी रूप की मार झेलनी पड़ी है। यूनान के सोशलिस्ट व वामपंथी राजनीतिक दलों की एक दूसरे से वन-अप होने की होड़ और एक से बढ़कर एक रियायतों और पैकेज से लुभावन गुलदस्ते की स्पर्धा ने देश की अर्थ व्यवस्था की रीढ़ तोड़कर रख दी। ग्रीस संकट की मूल जड़ 1999 का भीषण भूकंप और उसके बाद हुए 2004 ओलिंपिक खेल में है। भूकंप में देश की 50 हजार इमारतें क्षतिग्रस्त हुईं और लोकप्रियता पाने के लिए सरकार ने अपने खर्च से इन्हें बनवाने की घोषणा कर दी। ओलिंपिक सिर्फ पांच साल दूर थे और सर