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Showing posts from June, 2017

उनके झूठ तैयार हैं, आप कितने तैयार हैं राष्ट्रवादियों !!

आपके राजनैतिक विरोधी अब यह मानने लगे हैं कि लगातार प्रधानमंत्री जी के नाम की आलोचना कर के उनसे गलती हुई है, वे नुकसान में रहे हैं... राष्ट्रवादी मित्रों। और अब विपक्ष ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए... सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों पर बात करने की तैयारी की है। जिसके नतीजे आपको जल्दी ही.. स्थापित मीडिया से लगायत सोशल मीडिया, सदनों, कार्यक्रमों, विभिन्न फोरमों, राजनीतिक पार्टियों के आयोजनों, दार्शनिक-वैचारिक-राजनैतिक गिरोहों आदि के मंचों से दिखेंगे। मैं विपक्ष की इस नीति का स्वागत करूंगा, लेकिन साथ ही आपकी जानकारी में लाना जरूरी समझूंगा कि ऐसा करते हुए ईमानदारी नहीं बरती जाएगी। गलत तथ्य रखे जाएंगे। झूठे आंकड़े प्रचारित किये जायेंगे। अफवाहें फैलाई जाएंगी। कुतर्क गढ़े जाएंगे.... आपके परधान मोदी जी का नाम लिए बिना। आपकी क्या तैयारी है मेरे सम्मानित राष्ट्रवादियों ? 'भाव' पर 'भाव' खाने से क्या सब हो जाने वाला है ! क्या आप भी खुद को शासन की नीतियों, कार्यक्रमों पर तथ्यों, आंकड़ों... के साथ तैयार रखने के बारे में सोचेंगे ? मुझे इस रणनीति के मुताबिक सामाजिक-राजनैतिक

आरक्षण पर आरक्षित विमर्श :

अवसर की समानता के लिए संवैधनिक व्यवस्था जातिगत आरक्षण एक बार फिर बहस के केंद्र में है, जबकि इसका कोई औचित्य नहीं बनता। औचित्य इस लिए नहीं, क्योंकि सरकार की तरफ से ऐसी कोई पहल अभी तक नहीं है। और अगर है भी... तो विरोध अथवा चिंता, शक, भ्रम का औचित्य इसलिए नहीं बनता क्योंकि दो बातें बिल्कुल साफ और सीधी हैं। - भाजपा (एनडीए) के लोकसभा 2014 घोषणापत्र में जातिगत आरक्षण की समाप्ति तो क्या, इसकी समीक्षा की भी कोई बात नहीं कही गयी है। इसलिए आरक्षण पर पार्टी के स्टैंड में कोई बदलाव आपेक्षित ही नहीं है। - वर्तमान केंद्र सरकार आरक्षण का दायरा प्रोन्नति (प्रमोशन) तक ले जाने की प्रक्रिया में कोई नई पहल नहीं करने जा रही : अगर वह इसे करने पर सहमति दिखा रही है तो भी। सरकार की मंशा क्या है ? सरकार चाहती है कि अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) को "तय सीमा" तक आरक्षण का फायदा मिलना चाहिए। क्या है यह "तय सीमा" ? जातिगत आरक्षण में अनुसूचित जाति (एससी) के लिए 15% और अनुसूचित जाति (एसटी) के लिए 7.5% की सीमा तय है। आरक्षण की इस संवैधानिक व्यवस्था का अंतिम छोर तक