देश का समभाव :
1887 में ही अलीगढ़ आंदोलन के दौरान सर सैयद अहमद खां ने अपने भाषण में कह दिया "हिन्दू और मुस्लिम दो अलग-अलग कौमें हैं और साथ-साथ नहीं रह सकतीं"। आगे चल कर मो0 अली जिन्ना ने कहा था हिन्दू और मुसलमान दो अलग "राष्ट्र" हैं जो कभी एक साथ नहीं रह सकते इसलिए मुसलमानों को अलग होमलैंड चाहिए। स्पष्ट है कि विभाजन मुसलमानों की मांग पर हुआ था और बहुसंख्यक हिन्दुओं ने इसका विरोध किया था। क्या आप और हम आज भी यह महसूस करते हैं कि जिन्ना और खां साहेब की बातें सही थीं ? पहली नजर में बहुत बड़ा आरोप दिखाई देता है यह... इसलिए बात कायदे से समझनी पड़ेगी और आधार देना होगा। चलिए हम ये मान लेते हैं या हमें मान लेना चाहिए (मैं निजी तौर पे मानता भी हूँ) कि भारत के सन्दर्भ में जिन्ना और सर सैयद अहमद की बातें फ्रॉड थीं, बकवास थीं और वे दोनों महा-पापी थे जो उन्होंने ऐसी गंदी बात सोची.. कही। इसका सबूत है कि हमने नेहरू जी के छाया तले (जैसा की स्थापित है) भारत को सेक्युलर, साँझी विरासत वाला ऐसा देश बनाया जिसमे हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई एंड सो ऑन.. सब भाई-भाई। 'हमने देश के नागरिकों के न