राहुल जी खूब फोटोजेनिक हैं।

बताते हैं जब आप डायपर मतलब लंगोटी एज में थे तो अक्सर अपनी दादी के प्रधानमंत्री आवास में बने सर्वेंट क्वाटर्स की तरफ बकइयाँ खींचते हुए चले जाते थे और दादी के गरीबी हटाओ योजना के तहत उनकी गरीबी हटा आते थे। चूंकि जमीन पर घिसनी काटते हुए नन्हे राहुल का डायपर उतर जाता था इसलिए कलेजे पर पत्थर रख कर उस समय की कोई तस्वीर न ली जाती थी वरना देश की गरीबी कभी की हट चुकी होती। बाल राहुल जी जब कुछ और बड़े हुए और डायपर उतरने की अवस्था जाती रही... यानी 2008 में तब आपको अपनी सरकार-सरकार खेलना बहुत पसंद था और आप कुछ प्लास्टिक के खिलौने आदि गाड़ी में रख, कैमरा फोटोग्राफरों के साथ पिक हंटिंग यानी तस्वीर शिकार पर मजदूरों, किसानों, दलित-आदिवासियों के बीच निकल जाते थे। एक बार जयपुर राजस्थान की तरफ ऐसे ही एक तस्वीर शिकार पर निकले राहुल जी पिंजनी गांव पहुंचे। उन्होंने एक आदिवासी लड़की को अपने घर का पोखरा मतलब तालाब खोदने में परिवार की मदत करते देखा। बाल राहुल यह देखते ही मिट्टी-मिट्टी खेलने के लिए मचल गए। अपनी प्लास्टिक की निजी टोकरी गाड़ी से निकाल उसमें मुट्ठी भर भारत माता को स्टाफ से डलवाया और युवती के पीछे...